पंकज भारती , इंदौर
ऑस्ट्रेलिया में सचिन पूर्व के कुछ मैचों में अपनी लय नहीं पकड़ पाए, तो आलोचकों की जबान उनके बारे में अनाप-शनाप कहने लगीं। सचिन खामोश रहे। हमेशा उन्हें ब्रेडमैन की उपमा देने वाला मीडिया भी सचिन पर तमाम तोहमतें लगाने से नहीं चूका। यही नहीं महेंद्रसिंह धोनी की बातों को भी तोड़-मरोड़कर मीडिया ने पेश किया। एक कप्तान होने के नाते धोनी का सचिन को चेताना जरूरी था, लेकिन दूसरे लोगों ने सचिन पर सिर्फ तोहमतें लगाईं।
इतना सब सुनने के बाद भी सचिन की महानता सिद्ध हुई, उन्होंने बाद के दो मैंचों में लोगों की आलोचनाओं का जवाब अपने बल्ले से दिया। पहले श्रीलंका को धूल चटाने में अहम भूमिका निभाई और सिडनी में हुए पहले फायनल मुकाबले में सैंकड़ा ठोककर कंगारूओं को ही नहीं, दुनिया को जता दिया कि यह शेर अभी बूढ़ा नहीं हुआ। सचिन क्रिकेट खेलें या न खेलें लेकिन दुनिया उनकी सहनशीलता से सबक जरूर लेती रहेगी।
सचिन देश और दुनिया के तमाम युवाओं के लिए आदर्श हैं। सिडनी से पूर्व भी सचिन की महानता कई बार देखने को मिली है। शतक बनाने के बाद भी शांति से ईश्वर का धन्यवाद देना और अगली बॉल को फिर उसी तरह से खेलना जैसे कुछ उपलब्ध ही नहीं किया हमें यह भी सिखाता है कि पुरानी सफलता को विस्मृत कर व्यक्ति को नए कीर्तिमान पर ध्यान देना चाहिए और इसी सिद्धांत पर चलते हुए वे कई रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज करवा चुके हैं। वाकई सचिन एक जेंटलमैन क्रिकेट प्लेयर और महान व्यक्तित्व हैं।
Sunday, March 2, 2008
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1 comment:
सचिन वाकई लाजवाब हैं।
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