Monday, February 25, 2008

पीढ़ियां संवारने वाले सर सेठ हुकुमचंद

पंकज भारती
26 फरवरी को सर सेठ हुकुमचंद की पुण्यतिथि पर विशेष
माता अहिल्या की तरह शहर का नाम रोशन करने वाले स्व. सर सेठ हुकुमचंद ने शहर में टेक्सटाइल उद्योग की स्थापना कर हजारों मजदूरों की रोजी-रोटी की व्यवस्था की थी। इंदौर की वर्तमान रौनक में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता है। क्लॉथ मार्केट की स्थापना में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। शेयर्स के व्यापार में अमेरिका तक उनका प्रभाव रहा।

सेठजी स्वयं के लिए नहीं जिए, उन्होंने समाज के लिए जितना किया और जितना दिया उसे भुलाया नहीं जा सकता है। शहर में कांच मंदिर, नसिया में मंदिर और धर्मशाला के साथ ही श्राविकाश्रम का निर्माण कर उन्होंने महिलाओं के उद्धार के लिए भी काम किया। शिक्षा के क्षेत्र में संस्कृत महाविद्यालय की भी स्थापना की। उनके द्वारा बनाए गए छात्रावास में पढ़े विद्यार्थी आज भी देश-विदेश में उनकी यशगाथा गा रहे हैं।

भारत के करीब सभी तीर्थो में किसी न किसी रूप में उनका नाम अवश्य मिलेगा। यदि हमने परिवार संवारे हैं तो उन्होंने पीढ़ियां संवारी हैं। उनके रंगमहल में हाथी-घोड़े, बग्घी और सोने की कार सहित ऐशो आराम के कई साधन थे। स्व. सेठजी के जीवन से यह संदेश मिलता है कि यह महत्वपूर्ण नहीं कि किसने कितना कमाया बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि समाज के लिए किसने कितना योगदान दिया। स्व. सर सेठ हुकुमचंद की पुण्यतिथि पर सादर प्रणाम और विनम्र श्रद्धांजलि।

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