Wednesday, November 14, 2007

पानी पानी रे ...

इंदौर में होटल अल्पागृहों पर चाय व नाश्ता के साथ पानी नहीं मांगा जाता, दिया भी नहीं जाता। इसके लिए सेल्फ सर्विस के रूप में पानी की छोटी नांद, मटकी, लोटे व मग्गे के साथ ग्राहकों को सुलभ कराई जाती है। ग्राहकों को अपने हाथ से लेकर लोटा या मग्गा से ऊपर से पानी पीनी होता है। इसके पहले होटलों में, होटल लड़कों के द्वारा गिलास भर पानी की सर्विस की जाती थी, जिससे हुए झूठे गिलासों को धोना पड़ता था। इससे पानी की अपव्यय गिलासों को धोने में होता था। लोग आधा पानी पीते थे और आधा झूठा कर रख देते थे। सेल्फ सर्विस से पानी की बचत होती है। दूसरा लाभ इस प्रथा से यह भी है कि झूठे गिलासों को धोने की मानवीय श्रम की बचत हो रही है। धीरे-धीरे यह प्रणाली यहां के आसपास के स्थानों पर तथा मालवांचल की अन्य जगहों पर भी लागू हो रही है। सेल्फ सर्विस अब जहां नहीं है, पानी बचाने के लिए इसे अपनाया जाना चाहिए।

1 comment:

THE OPEN STAGE said...

good, plz post this mater on my blog