Tuesday, November 6, 2007

लो आ गई दीपावली

आज रात सितारे आसमां में ही नहीं, जमीं पर भी जगमगाएंगे। सारी वसुंधरा रोशनी से नहाएगी और धन के देवता कुबेर की पूजा भी होगी। पटाखों की गूंज थोड़ा डराएगी तो थोड़ा उत्साहित करेगी। नए प्रतिष्ठानों के उद्घाटन होंगे और बाजारों से चांदी-सोना, बरतन, वाहन व पूजन सामग्री खरीदी जाएगी। मौका होगा हिंदू धर्म के सबसे बड़े पांच दिनी दीपावली पर्व की शुरुआत का। पहले दिन धनतेरस को लेकर व्यापारी वर्ग में खासा उत्साह रहता है। इंदौर के मध्य स्थल में स्थित सराफा को तो दुल्हन की तरह सजाया गया है। ग्राहकों के पांव मैले न हो जाएं इसलिए जमीन पर कालीन और आसमान में सितारे संजोए गए हैं। भगवान धन्वंतरि की पूजा की तैयारियों में लोग मंगलवार से ही बाजारों में जुट गए हैं। बुधवार को जहां धन के देवता कुबेर का पूजन होगा, वहीं नए व्यावसायिक प्रतिष्ठान का उद्घाटन भी किया जाएगा, साथ ही इस दिन बरतन, चांदी-सोना, वाहन व दीपावली के लिए पूजन सामग्री भी खरीदी जाती है। गुरु पुष्य नक्षत्र और रोशनी के पर्व के पहले आए शॉपिंग संडे के बाद धनतेरस पर फिर खरीदारी के लिए ग्राहकों का सैलाब उमडे़गा।

धनतेरस के पूजन से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है : इस पर्व के संबंध में कथा कहती है कि एक बार यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि क्या कभी उन्हें किसी के प्राण हरते हुए दु:ख हुआ था। इस पर दूतों ने संकोच करते हुए कहा कि ऐसे नहीं हुआ। यमराज के बार-बार पूछने पर दूत ने कहा कि महाराजा हंस व रानी हेमा ने एक पुत्र को जन्म दिया। पुत्र के जन्म के संबंध में ज्योतिषियों ने कहा कि इस बालक का जन्म इसके विवाह के चार दिन पश्चात होगा। इस बालक के विवाह के पश्चात इसके प्राण हरण करने में हम यमदूतों के भी आंसू निकल पड़े। इस पर यमराज ने कहा कि जो धनतेरस के दिन धन्वंतरि का पूजन व दीपदान करेगा, वह कभी अकाल मृत्यु को प्राप्त नहीं होगा।

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