Sunday, March 2, 2008

भारत विरुद्ध इंडिया...

पंकज भारती
गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे भारत के किसान की सुध आखिर केंद्र सरकार ने अब ली है। किसान को न फसल का उचित मूल्य मिल रहा था और न ही खाद और बीज। जब किसान आत्महत्या तक को मजबूर हो, ऐसे कठिन समय में साठ हजार करोड़ के कर्ज माफ करना उसके लिए राहत की बात है। मौसम की बेरुखी, घटते पूंजी-निवेश और मुख्य फसलों की पैदावार में गिरावट को कृषि क्षेत्र की बदहाली की वजह माना जा रहा है। लागत की अधिकता और मुनाफे में कमी के कारण भी लोग इस क्षेत्र से अलग हो रहे हैं। आर्थिक विकास दर भले ही पौने नौ फीसदी हो, लेकिन अभी भी देश की तीस करोड़ आबादी के पास दिनभर के लिए मात्र 12 रुपए हैं।

देश मुख्यत: दो भागों में बंट गया है- इंडिया(अमीर) और भारत(गरीब)। इंडिया में 535 परिवार ऐसे हैं जिनके पास सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति है। बेरोजगारी फिर भी बढ़ रही है क्योंकि इंडिया और अमीर होता जा रहा है तथा भारत अभी भी गरीब है। खाद्य वस्तुएं दिन प्रतिदिन महंगी होती जा रही हैं। क्या इंडिया और भारत कभी बराबर हो पाएंगे?

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