Sunday, January 6, 2008

अंपायर: नायक नहीं खलनायक

आखिरवहीं हुआ जिसका डर था, भारत सिडनी टेस्ट 122 रनों से हार गया लेकिन भारत की यह हार उसकी खराब बल्लेबाजी के चलते नहीं हुई बल्की अंपायरों की
घटीया अंपायरिंग व विरोधी खिलाडीयों के खेल भावना के विरुद्ध कि ए गए व्यवहार के कारण हुई हैं। जाहिर सी बात हैं कि सिडनी टेस्ट में भारत की नहीं बल्की
संपूर्ण क्रिकेट जगत की हार है । सिडनी टेस्ट के प्रारंभ से लेकर अंत तक अंपायरिंग के क्षेत्र में जो कुछ घटा वह निहायत ही शर्मनाकपूर्ण व झकझोरदेने वाला रहा। संपूर्ण मैंच के दौरान नौ बार जी हां
नौ बार आस्ट्रेलिया खिलाडीयों के पक्ष में फैसला दिया गया। एंड्रु सायमंड को तेा चार बार आउट होने के बावजूद नाटआउट करार दिया गया। सिर्फ सायमंड ही नहीं
पोंटीग के साथ ही अन्य आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को अंपायर स्टीव बकनर के साथ ही मार्क बेंसन ने जैसे अभयदान दे दिया हो। लगता है अंपायरों व आस्ट्रेलियाई की आपस में साठ-गांठ रही होगी जिसके चलते इन खिलाडीयों को कहा गया की आप चाहे जैसे खेल सकते है आपके आउट होने पर भी आपको हमार
आउट करार नहीं दिया जाएगा।
वहीं भारतीय खिलाडीयों के साथ इसका उलटा हो रहा था। चाहे वो गेंदबाज हो अथवा बल्लेबाज सभी अंपायर के गलतनिर्णय के शिकार बने। पहली पारी में जब ईशान शर्मा की गेंद सायमंड का बल्ला चुमते हुए धोनी के दस्तानों में जा समाई तब स्टेडियम में बैठे हजारों दर्शकों को गेंद व बल्ले के मिलन की आवज साफ सुनाई दी जबकि यही आवाज दोनों बेशर्म अंपायरों को सुनाई नहीं दी। वहीं चौथी पारी में जब राहुल द्रवीड़ व सौरव गांगुली आस्ट्रेलिया को रिकार्ड 16 जीत से बेदखल करते दिखाई दे रहे थे तब गलत ठंग से आउट करार देने वाले अंपायरों की यह खलनायक जोड़ी मन में यह सेाचने पर मजबूर करती है कि कहीं यह अंपायर फिक्स तो नहीं
है ।

1 comment:

sarvesh said...

baknar ki harkat se to ye hi lagta hai ki kahi na kahi fixing ka mamla hai.